चार भाई थे। चारों जंगल में लकड़ी काटने गए। वे अपने साथ खाने के लिए थैले में लड्डू लेके गए। उनके साथ एक कुत्ता भी था।
वे जंगल में एक वृक्ष के नीचे लड्डू के थैले को रख दिए और कुत्ते को इसकी रखवाली हेतु वहीँ छोड़ दिए।
और यह निर्णय लिए कि भूख लगने पर चारों भाई बांटकर खाएंगे। फिर वे लकड़ी काटने के लिए अलग अलग दिशाओं में चले गए।
कुछ देर बाद एक भाई को भूख लगा और वो वृक्ष के नीचे आकर तीनों भाइयों का इंतज़ार किया, लेकिन कोई भाई नहीं आया।
फिर उसने थैले में से सारे लड्डू निकाल कर पहले एक लड्डू कुत्ते को खिला दिया। और फिर उसके बाद लड्डूओं को चार बराबर हिस्सों में बाँट लिया और अपने हिस्से का लड्डू खाकर शेष को थैले में रख दिया और फिर से लकड़ी काटने चला गया।
कुछ देर में दूसरे भाई को भूख लगा वो भी वृक्ष के नीचे आया इंतज़ार किया कोई नहीं आये। फिर लड्डूओं को निकाला। पहले एक लड्डू कुत्ते को खिलाया शेष को चार हिस्सों में बांटकर अपने हिस्से का खाकर बांकी को रख दिया।
तीसरे भाई ने भी यहीं किया। और चौथे भाई ने भी यहीं किया।
अंत में चारों भाई एक साथ वृक्ष के नीचे आये और लड्डू निकाले पहले एक लड्डू कुत्ते को दिए। फिर बराबर चार हिस्सों में बांटकर खा लिए। और एक भी लड्डू शेष नहीं बचा।
अब बताइये थैले में कितने लड्डू थे?